शास्त्रों में आता है इस संसार में श्राद्ध से बढ़कर और कोई कल्याणकारी कर्म नहीं होता है। अतः प्रयन्त पूर्वक श्राद्ध करते
रहना चाहिए। श्राद्ध से केवल अपने पितरों की ही तृप्ति नहीं होती अपितु जिस प्रकार विधि पूर्वक अपने धन के अनुरूप व्यक्ति
श्राद्ध करता है वह ब्रह्मा से लेकर घास तक समस्त प्राणियों को संतुष्ट कर देता है।
यहाँ तक लिखा है कि जो शांत होकर विधि
पूर्वक श्राद्ध करता है वह संपूर्ण पापों से मुक्त होकर जन्म मरण के बंधन से छूट जाता है।
घर में भयंकर झगड़ा होना, घर छोड़कर चले जाने की इच्छा होना, आत्महत्या के विचार आना बीमारियां खत्म ना होना, कर्ज खत्म ना होना, तांत्रिक क्रियाओं से नुकसान, शरीर में भूत प्रेत पितरों का आना, विवाह न होना संतान न होना, कालसर्प दोष मंगल दोष पितृ दोष भूमि दोष...
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