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तांत्रिक क्रियाऐं, टूना-टोटका, काला जादू, चौकी लगाना, कुछ खिला देना, वशीकरण कर देना, पागल कर देना, दिमाग काम न करना, भूत-प्रेत लगाना, इस्लामी तंत्र अर्थात् मुसलमानी टूने-टोटको और तांत्रिक क्रियाओं से भयंकर नुकसान

पति-पत्नि के झगडे

विद्वेषण जैसी तांत्रिक क्रियाओं द्वारा पति-पत्नि में फूट डलवाकर झगडे करवा दिये जाते हैं। छोटी-छोटी बातों पर पति-पत्नि में झगडे होने लग जाते हैं परिणाम यह होता है कि पति-पत्नि एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं। और उन पर की गई तांत्रिक क्रियाओं का उन्हें पता भी नहीं होता हैं।
बार-बार बीमार होना, हमेशा बीमार रहना अथवा अकालमृत्यु होना :- मारण प्रयोग जैसी तांत्रिक क्रियाओं द्वारा व्यक्ति को बीमार कर दिया जाता हैं। मारण प्रयोग कर दिया जाए तो फिर वह व्यक्ति हमेशा बीमार ही रहता हैं। कई बार इलाज कराने पर भी लाभ नहीं होता हैं। और कभी-कभी तो बीमारी ही पकड में नहीं आती हैं। यदि अधिक इलाज करवाया जाए तो नुकसान होने लगता हैं। कभी कभी मारण प्रयोग इतना प्रबल होता है कि इससे व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती हैं।
व्यापार-व्यवसाय, खेती आदि में घाटा अथवा भयंकर नुकसान: उच्चाटन जैसी तांत्रिक क्रियाओं द्वारा दुकान-व्यापार, खेती आदि को बांध दिया जाता है जिससे धन की आवक एवं ग्राहकी कम हो जाती हैं। अंत में लाखों-करोडों का घाटा हो जाता हैं। परिणामस्वरूप व्यापार बंद करना पडता हैं और खेती तथा संपत्ति सब कुछ बिक जाता हैं।
भयंकर गृहक्लेश एवं अशांति: उच्चाटन एवं विद्वेषण प्रयोग के द्वारा आपके घर को बरबाद कर दिया जाता हैं। अर्थात् आपके घर पर ऐसा टूना-टोटका कर दिया जाता हैं। कि जिससे आपके घर की सुख-शांति एवं बरकत हमेशा के लिए चली जाती हैं। जीने से तो मरना अच्छा है-ऐसे आत्महत्या के विचार आपको आने लगते हैं तथा आपका जीवन नर्क से भी बदतर हो जाता है। एक समय का भोजन भी आप ठीक से नहीं कर सकते हैं। घर में ऐसी स्थिति पैदा कर देती है तांत्रिक क्रियाऐं।
वाहनों से लाभ की बजाए नुकसान: तांत्रिक क्रियाओं द्वारा ट्रक-बस, मेटाडोर-कारें आदि बांध दिये जाते हैं जिससे धीरे-धीरे सवारी तथा माल मिलना कम हो जाता है अथवा बार बार गाडीयां खराब हो जाती हैं तथा कई बार तो गाडीयो के अचानक से एक्सीडेंट भी हो जाते है। धीरे धीरे कर्ज बढता ही जाता हैं और अंत में सब कुछ बिक जाता हैं।
कोख बांधना अर्थात् संतान प्राप्ति न होना: स्तंभन और टूने-टोटकों द्वारा स्त्रीयों की कोख बांध दी जाती है फिर उन स्त्रीयों को संतान नहीं होती है। फिर बार बार गर्भपात होता रहता हैं अथवा बच्चे पैदा होकर मर जाते है। चाहे वो लाखों रूपये इलाज में बरबाद कर दे अथवा देवी-देवताओं के यहां गोद भरवा लें कुछ फर्क नहीं पडता हैं। जब तक उनके उपर से स्ंतंभन प्रयोग नहीं हटाया जाए अर्थात् उनकी बंधी हुई कोख खोली नहीं जाए उनको संतान नहीं होती हैं।

वशीकरण करना और पागल कर देना, चौकी लगाना

वशीकरण द्वारा स्त्री-पुरूषों अथवा लडके-लडकियों को वश में कर लिया जाता है अर्थात् उनकी बुद्धि बांध दी जाती है जिससे वे वही करते हैं जो उन्हे वश में करने वाला कहता हैं। घर वाले लोग और सही रास्ता दिखाने वाले लोग उस व्यक्ति को दुश्मन लगने लगते हैं तथा वश में करने वाला व्यक्ति ही उसे अच्छा लगता हैं। कभी कभी मिठाई भोजन आदि में तांत्रिक मंत्रों से अभिमंत्रित किया हुआ कुछ खिला दिया जाता हैं जिससे व्यक्ति बुद्धि काम करना बंद कर देती हैं। उसका दिमाग काम नहीं करता है। उसे कुछ भी समझ में नहीं आता हैं कि उसे यह कैसे हो रहा हैं और उसके साथ क्या हो रहा हैं। कभी कभी व्यक्ति पागल भी हो जाता हैं। अथवा उसके शरीर में भूत प्रेत आदि भी आने लग जाते हैं। यह सभी तांत्रिक क्रियाओं के दुष्प्रभाव के कारण ही होता हैं। चौकी लगा दी जाती हैं जिससे व्यक्ति सीधा करता हैं परंतु होता उसके साथ उल्टा ही हैं। पूजन पाठ करते हैं अथवा करवाते हैं तो उससे नुकसान होने लगता हैं।
विद्याथी का पढाई से मन हटना अथवा व्यक्ति का गलत रास्ते पर जाना - पढाई करने वाले बच्चे पर स्तंभन प्रयोग कर दिया जाता है तो धीरे धीरे उसका पढाई में से मन हटने लगता हैं। फिर जैसे जैसे वह बडा होता जाता हैं पढाई में वह कमजोर होने लगता हैं। तथा परीक्षा में भी कम नम्बर आने लगते है। कभी कभी टूने टोटके के कारण परीक्षा के वक्त बीमार पड जाता है। टूने टोटके द्वारा व्यक्ति की बुद्धि बिगाड दि जाती हैं। फिर वह सही रास्ते को छोडकर गलत मार्ग पर चलने लगता हैं। व्यक्ति इतना बिगड जाता है कि उसे अपने परिवार आदि यहां तक की अपने शरीर की चिंता भी नहीं रहती हैं। समझाने वाले और घरवाले उसे दुश्मन लगने लगते हैं।
तांत्रिक क्रियाओं से संतान न होना एवं अन्य नुकसान - तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव से उन्नति रूक जाती हैं, पुरूषों को गुप्त रोग हो जाते हैं तथा स्त्रीयों को मासीक धर्म संबंधी रोग हो जाते हैं जो आसानी से ठीक नहीं होते हैं। तांत्रिक क्रियओंं द्वारा गर्भपात भी करवा दिया जाता है, और कभी-कभी मां-तथा बच्चे दोनों की जान चली जाती हैं, संतान या घर का कोई सदस्य बिगड जाता हैं, छोटे बच्चों को बीमार कर दिया जाता है, तथा कभी-कभी बच्चों की अकालमृत्यु तक भी हो जाती हैं, स्त्रीयों अथवा पशुओं का दूध बांध दिया जाता है। यहां तक की भूत-प्रेत भी बांध दिये जाते हैं। फिर देवी-देवता, डोरे-धागे, ताबीज, डॉक्टर सभी जगह भटकने के बाद भी कोई लाभ नहीं होता हैं। हजारों-लाखों रूपये बर्बाद हो जाते हैं और निराशा ही हाथ लगती हैं। याद रखिऐ अगर आप पर या आपके यहां तांत्रिक क्रिया की हुई है तो आप कितनी भी पूजन-पाठ करवा लो किसी भी प्रकार का लाभ नहीं होता हैं।

यदि तांत्रिक क्रियाओं का निराकरण या समाधान समय पर नहीं होता है तो जीवन नर्क बना जाता हैं।
तंत्रिक क्रियाओं के प्रकार: 1 वशीकरण कर्म 2 मारण कर्म 3 मोहन कर्म 4 ताडन कर्म 5 उच्चाटन कर्म 6 विद्वेषण कर्म 7 स्तंभन कर्म 8 पुष्टि कर्म 9 शांति कर्म

  1. शान्ति कर्म - जिस कर्म के द्वारा रोगों और ग्रहों के अनिष्टकारी प्रभावों को दूर किया जाता है, उसे शान्ति कर्म कहते हैं और इसकी अधिष्ठात्री देवी रति हैं।
  2. वशीकरण - जिस क्रिया के द्वारा स्त्री, पुरूष आदि जीवधारियों को वश में करके कर्ता के इच्छानुसार कार्य लिया जाता है उसको वशीकरण कहते हैं वशीकरण की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती हैं।
  3. स्तम्भन - जिस क्रिया के द्वारा समस्त जीवधारियों की गति का अवरोध किया जाता है, उसे स्तम्भन कहते हैं। इसकी अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी है।
  4. विद्वेषण - जिस क्रिया के द्वारा प्रियजनों की प्रीति, परस्पर की मित्रता एवं स्नेह नष्ट किया जाता है उसे विद्वेषण कहते हैं। इसकी अधिष्ठात्री देवी ज्येष्ठा हैं।
  5. उच्चाटन - जिस कर्म के करने से जीवधारियों की इच्छाशक्ति को नष्ट करके मन में अशांति, उच्चाटन उत्पन्न की जाती है और मनुष्य अपने प्रियजनों को छोड़कर खिन्नतापूर्वक अन्यत्र चला जाता है, उसे उच्चाटन कहते है। इसकी अधिष्ठात्री देवी दुर्गा है।
  6. मारण - जिस क्रिया को करने से जीवधारियों का प्राणान्त कर्ता की इच्छानुसार असामयिक होता है, उसे मारण कहते हैं। इसकी अधिष्ठात्री देवी भद्रकाली हैं। और यह प्रयोग अत्यन्त जघन्य होने के कारण वर्जित हैं।